मै कैलास का रहनेवाला । मेरा नाम है शंकर ॥
दुनिया को समझाने आया । करले कुछ अपना घर ॥
यह दुनिया मे कई रंग है । यह रंग निराला है ॥
पाया न भेद किसने । यह गहराही गहरा है ॥
मुझे वोही जानता है । जो खुद को समझता है ॥
कुर्बान करी भी दौलत । तो भी सवाल अधुरा है ॥
समझे तो समझ ले । बाद मे पछताना है ॥
हमारा क्या बिघडता है । तेराही नुकसान है ॥
लिखी पत्थर की दिवारों पर । सुन्ना की लकीरें ॥
वक्त आने पर याद होंगे । हमारे ही फव्वारे ॥